मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक ने रियल टाईम खतौनी में त्रुटियों को गांव में चौपाल लगाकर ठीक कराने की मांग मुख्य सचिव से की है। पूरबालियान गांव की चकबंदी की समीक्षा के लिए चकबंदी आयुक्त को किया निर्देशित किया गया है।
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राजेश सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रतिनिधिमण्डल ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह से बैठक कर किसानों के विषय पर चर्चा कर समस्याओं के समाधान की मांग करते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर किसानों की पीड़ा की सुनवाई नहीं हो रही है। किसानों से लूट हो रही है किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु आज भारतीय किसान यूनियन ने लोकभवन में मुख्य सचिव महोदय से वार्ता की है। मुख्य सचिव ने समस्याओं के निदान हेतु सभी विभागों को निर्देशित कर समाधान का आश्वासन दिया। मुख्य सचिव ने अंश निर्धारित,नाम की त्रुटियों को चौपाल लगाकर गांव में निस्तारित करने के भी निर्देश दिए हैं। प्रतिनिधिमण्डल में ठा0 राजेश सिंह चौहान राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र मलिक राष्ट्रीय प्रवक्ता, मांगेराम त्यागी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,महेन्द्र सिंह रंधावा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, उम्मेद सिंह,राष्ट्रीय सचिव,चै0 हरिनाम सिंह प्रदेष अध्यक्ष,रामस्वरूप वर्मा पूर्वांचल प्रभारी,राज कुमार तोमर मण्डल अध्यक्ष आगरा,बलराम तिवारी प्रभारी बुन्देलखण्ड,बब्लू दूबे प्रयागराज मण्डल अध्यक्ष,बलबीर सिंह ,राजेष रावत जिलाध्यक्ष लखनऊ, शामिल रहे। ये ज्ञापन उन्हें दिया गया।
श्रीमान मुख्य सचिव महोदय
उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ
विषय- उत्तर प्रदेश किसानों की समस्याओं के समाधान के सम्बन्ध में।
महोदय,
उत्तर प्रदेश कृषि आधारित राज्य है यहां पर 60 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में लगे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसान हित के लिये अनेक कार्य किये गये हैं लेकिन अभी भी कुछ विषयों पर ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है आज दिनांक 22/05/2025 को लोकभवन लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के प्रतिनिधिमण्डल के साथ आपकी वार्ता के माध्यम से किसान हित में निम्न सुझाव दे रहे हैं जिन्हें किसान हित में लागू किया जाना आवष्यक है,
1. उत्तर प्रदेष के गन्ना किसानों का लगभग 3 हजार करोड रूपया बकाया है। प्रदेश की कुछ चीनी मिलों द्वारा किसानो का गन्ना भुगतान कई वर्षों से समय पर नहीं किया जा रहा है उत्तर प्रदेश के बकाया गन्ना मूल्य का अविलम्ब भुगतान कराया जाये। 14 दिन के अन्दर भुगतान न होने पर विलम्बित भुगतान पर गन्ना मूल्य एवं कमीषन भुगतान हेतु उ.प्र. गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम 1953 एवं तत्संबंधी नियमावली 1954 में व्यवस्था के अनुसार विलम्बित भुगतान पर ब्याज दिलाया जाये जिसका वायदा चुनावी घोषणा-पत्र में किया गया था। बजाज समूह पर भुगतान हेतु सख्ती की जाए।
2. उत्तर प्रदेश में पिछले तीन वर्षों से किसान गन्ने को बचाने हेतु संघर्ष कर रहा है। उत्तर प्रदेश में पायरिला, रेडरोट, टॉपबोरर से किसानों की फसल का उत्पादन गिरकर आधा हो गया है लेकिन गन्ना विभाग, गन्ना अनुसंधान केंद्र द्वारा इस पर कोई विस्तृत रिसर्च रिपोर्ट जारी नहीं की गई है। बीमारी के नाम पर शुगर मिल बीज एवं दवाई बेचने का धंधा कर रहे है किसानों के हित की प्रजातियों को बचाने हेतु आवश्यक कार्य योजना बनाई जाए।
3. शुगर मिलों द्वारा अपने हित में एक ही वैराइटी को प्रोत्साहन दिया जा रहा है बीमारी के समय एक ही प्रजाति की अधिकता होने के कारण अधिकतर गन्ना नष्ट हो जाता है जो गन्ना नियंत्रण कानून का भी उल्लंघन है। किसी भी प्रजाति को शुगर मिल क्षेत्र में 40 प्रतिषत से अधिक बोआई के लिये प्रोत्साहित न किया जाये।
4. किसानों के आलू, प्याज, टमाटर जैसे उत्पादों को बाजारों तक पहुँचाने के लिये मदर डेयरी, हरित डेयरी व पराग जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर सप्लाई चेन बनायी जाये और मदर डेयरी की तरह सप्लाई चेन को मैनेज करने के लिए प्रोफेशनल्स को हायर किया जाये। इस क्षेत्र में प्रोसेसिंग और डिस्ट्रीब्यूशन में डायरेक्ट-इनडायरेक्ट रूप से युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
5. निजी नलकूप पर निःशुल्क बिजली योजना को शर्तों में बांध दिया गया है जिससे किसानों में आक्रोष है किसानों के विद्युत संयोजन का एग्रीमेंट हाॅर्स पावर के आधार पर है लेकिन निःषुल्क बिजली योजना में 240 यूनिट की घोषणा की गई है यह किसानों के साथ छलावा है इसमंे यह तय किया जाये की कितने हाॅर्सपावर तक बिजली मुफ्त दी जायेगी। किसानो को सामान्य योजना में स्वीकृत विद्युत संयोजन का सामान दिलाया जाये।
6. उत्तर प्रदेष के गन्ना उत्पादक जनपदों में रात के समय किसानों को टाॅप बोरर रोग की अधिकता होने के कारण लाईट ट्रैक जलाने पड़ते हैं जिसे जलाने हेतु सिंगल फेज विद्युत आपूर्ति की आवष्यकता है किसानों की समस्या को देखते हुए गन्ना उत्पादक जनपदों में सिंगल फेज विद्युत आपूर्ति की जाये।
7. उत्तर प्रदेष के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के किसानों की मांग है कि एनजीटी के 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों को एनसीआर में चलाने पर रोक के आदेष से कृषि कार्य में प्रयोग होने वाले ट्रैक्टर डीजल इंजन को चलाने की छूट दी जाये क्यूंकि किसानों के ट्रैक्टर का 1 वर्ष में 200 घण्टे चलने का भी औसत नहीं आता है 10 वर्ष में किसानों के ट्रैक्टर खराब नहीं होते हैं। उत्तर प्रदेष सरकार मे ंभी 10 वर्ष से ऊपर के वाहन प्रयोग में लाये जा रहे हैं इसके लिए हरियाणा की तर्ज पर ट्रैक्टरों, ड़ीज़ल इंजन को छूट दिये जाने हेतु उत्तर प्रदेष विधि (विषेष उपबन्ध) विधेयक 2025 लाया जाये।
8. रियल टाइम खतौनी बनाते समय अंश निर्धारण, नाम आदि में हुई लिपिकीय त्रुटि को ग्राम स्तर पर कैंप लगाकर दुरूस्त किया जाये किसान के सभी खसरों का एक खाता बनाया जाए।
9. तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाये 5 वर्षों से अधिक जमे लेखपालों को स्थानान्तरित किया जाये। विरासत, दाखिल खारिज, प्रमाण-पत्र आदि कार्य तय समय सीमा में न करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही की जाये।
10. अन्ना प्रथा पर रोक लगाते हुये सरकार द्वारा वृहद् कार्य योजना बनाकर जंगली जानवरों एवं आवारा पशुओं से किसानों को निजात दिलायी जाये। गौषाला निर्माण हेतु मेरी पंचायत मेरी गौषाला अभियान चालाया जाये पंचायत स्थल पर परिवार रजिस्टर की तर्ज पर पशु रजिस्टर भी बनाया जाये।
11. उत्तर प्रदेष के पशुपालक किसान के सामने खराब बुनियादी ढांचा जानवरों के आवास, भोजन, देखभाल जैसी अपर्याप्त सुविधाएं, बाजार तक सीमित पहुंच, दूध, अण्डे जैसे उत्पाद बेचने में कठिनाई, उच्च लागत, अपर्याप्त प्रबंधन, उच्च गुणवत्ता वाले प्रजनन स्टाॅक और नस्ल सुधार कार्यक्रम सीमित पहुंच, चारे की कमी, ऋण और बीमा जैसी सुविधाओं की सीमित पहुंच, प्रषिक्षण व विस्तार सेवाओं की कमी आदि समस्याओं के कारण प्रदेष मे पषुपालक किसानों के सामने जीवन यापन का संकट है जिसके कारण पशुपालन समाप्त हो जा रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिये सरकारी समर्थन, निजी निवेष और किसान सषक्तिकरण को शामिल करते हुए एक वृहद् योजना बनाई जाये।
12. उत्तर प्रदेष में पशुओं में बांझपन, थैमैला की बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है जिसके कारण हर वर्ष 20-25 प्रतिषत दुधारू पशु आवारा पशु की श्रेणी में आ जाते हैं और 20 प्रतिषत पशुओं मे अंगभंग होने के कारण उनकी कीमत कम हो जाती है लेकिन किसी भी पशुपालन विद्यालय, पशुचिकित्सा विष्वविद्यालय द्वारा कोई शोध नहीं किया गया है जिससेे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इन दोनो बीमारी की गम्भीरता को देखते हुये सरदार वल्लभ भाई पटेल मेरठ, पं0 दीन दयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विष्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान मे से किसी एक को इन बीमारियों पर शोध करने के उपरान्त वैक्सीन बनाये जाने का लक्ष्य दिया जाये।
13. उत्तर प्रदेष में नस्ल सुधार हेतु विषेष कार्यक्रम चलाये जायें पष्चिमी उत्तर प्रदेष में नस्ल सुधार हेतु उत्तर प्रदेष पशुपालन विभाग द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल विष्वविद्यालय मेरठ, पं0 दीन दयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विष्वविद्यालय, गौ अनुसंधान संस्थान, नेषनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड और गौ पशु केन्द्र मेरठके साथ संयुक्त कार्यक्रम बनाकर नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाये जायें।
14. नकली सीमेन एवं मिलावटी पशुआहार पर रोक लगाने हेतु प्रभावी कानून बनाया जाये।
15. ब्लाॅक स्तर पर सीमेन बैंक की स्थापना की जाये जिसके माध्यम से उन्नत सीमेन आसानी से उपलब्ध हो सके।
16. प्रदेश में किसान चकबंदी से पीड़ित है। पिछले दस वर्षों या उससे ऊपर लंबित चकबंदी वाले गांव की सूची तैयार कर आगामी 6 माह में शून्य किये जायें। जनपद में 10 वर्ष से अधिक गांव शून्य होने पर ही नये गांव चकबंदी प्रक्रिया में शामिल किये जायें। चकबंदी अधिनियम में बदलाव करते हुये नये प्रावधान किये जायें।
17. श्रावस्ती जनपद के अन्तर्गत जनपद में कई ग्राम सभाओं में चकबन्दी प्रक्रिया चल रही है और जिले में कार्यरत सीओ चकबन्दी मनोज कुमार 5 साल से अधिक जिले में कार्यरत हैं इनके द्वारा बहुत अनियमित कार्य जनपद में संचालित चकबंदी के गावों जैसे लैबुडवा, खर्चवीरान, भिलौली से काफी षिकायतें प्राप्त हुई हैं उक्त बाबत में 05/05/2025 को इन्दिरा भवन लखनऊ में धरना प्रदर्षन चकबन्दी आयुक्त के यहां हुआ था जिसमें एक षिकायती प्रार्थना-पत्र उक्त सीओ चकबन्दी के विरूद्ध दिया गया था चकबन्दी आयुक्त कार्यालय से पत्र बनकर एसओसी श्रावस्ती को जांच मिला जांच में न्याय की उम्मीद नहीं है जबकि सीओ चकबन्दी पूर्ण रूप से दी गई षिकायत/परिवाद विषयक बिन्दुवार में अभिलेखों के हिसाब से दोषी हो। न्याय हित में संयुक्त कमेटी बनाकर जांचोंपरानत आरोपित सीओ के विरूद्ध प्रषासनिक व विभागीय कार्यवाही करवाने की कृपा की जाये।
18. जनपद के लखनऊ के शेरपुर लवल में वर्ष 2015 में चकबंदी हेतु कार्यवाही शुरू की गई पर किसानों का विरोध जारी रहा जनपद के जिलाधिकारी व चकबन्दी आयुक्त के द्वारा कमेटियां गठित करके कई बार जांच हुई जिनपर किसानों का विरोध व जांच में स्पष्ट तौर पर अधिकारियों द्वारा यह रिपोर्ट लगाई गईं कि शेरपुर लवल में चकबंदी कराना संभव नहीं है। महोदय चकबंदी ग्राम की जो कमेटी बनती है कमेटी के सदस्यों द्वारा कई बीघा जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है जिसको लेकर चकबंदी आयुक्त से 21/03/2025 में वार्ता में यह तय हुआ था कि 30 अप्रैल 2025 तक अवैध कब्जे हटा दिये जायेंगे तब तक शेरपुर लवल कि न कोई जिला बन्दोबस्त अधिकारी अदालत लगायेंगे न चकबंदी को आगे बढ़ाया जायेगा। महोदय शेरपुर लवल की चकबंदी जिला अधिकारी व चकबंदी आयुक्त के द्वारा कराई गई जांच के आधार पर अब तक निरस्त हो जाना चाहिये था परन्तु न चकबंदी विभाग अपनी बातों पर अमल कर रहा है और न अब तक शेरपुर लवल की चकबंदी निरस्त की गई। जांच के साक्ष्य संलग्न है धारा 6 कराने की कृपा की जाये।
19. उत्तर प्रदेष के किसानों के समक्ष छोटी जोत, गरीबी और ऋण, जलवायु परिवर्तन के कारण अप्रत्याषित मौसम, बाजार और भण्डारण तक सीमित पहुंच, अधिक उत्पादन लागत, सिंचाई के सीमित संसाधन, विखण्डित भूमि, कृषि षिक्षा और विस्तार का अभाव, कीट प्रबंधन पर महंगा खर्च, छोटे किसानों की सहकारी ऋण तक सीमित पहुंच, आदि चुनौतियों के कारण किसान कृषि से विमुख हो रहे हैं। प्रत्येक वर्ष लगभग 4 प्रतिषत छोटे और मझोले किसान खेती छोड़ रहे हैं जिससे प्रदेष में शहरीकरण का दबाव बढ़ता जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा कृषि विस्तार का कोई कार्य नहीं किया जा रहा है कृषि विस्तार के कार्यों में तेजी लाई जाये। प्रदेश भर में नकली खाद, बीज, दवाई के खिलाफ अभियान चलाया जाये। सभी जनपदों में खाद, बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।
20. कृषि रक्षा इकाई एवं कृषि बीज भंडार को समायोजित करते हुए प्रभावी बनाया जाये एवं सरकारी एवं निजी कीटनाषक बेचने वाली दुकानों से बिक्री, कृषि रक्षा अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों की संस्तुति पर ही की जाये।
21. कीटनाशक रसायन का वर्गीकरण फसल के आधार पर किया जाये, अनावश्यक रूप से निर्मित रसायन पर रोक लगायी जाये, साथ ही वर्गीकरण में आने वाले रसायन की संख्या भी सीमित की जाये, जिससे भ्रमित करने वाले रसायनों पर रोक लग सके।
22. रसायनों के मूल्यों की निगरानी हेतु रसायनों के न्यूनतम एवं उच्चतम मूल्य निर्धारित किये जायें।
23. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एन० पी० के० मिश्रण बनाने वाली निर्माण इकाई के साथ अन्य मिश्रित उर्वरक बनाने वाली इकाई पर सतत् निगरानी रखते हुए यह सुनिश्चित किया जाये कि यदि राज्य सरकार द्वारा उक्त इकाइयों को कच्चा माल क्रय करने की अनुमति न होने के बावजूद भी इन इकाइयों के साथ अन्य ईकाइयो में भी जिप्सम के नाम पर नकली एन० पी० के० मिश्रण तैयार किया जा रहा है जिसकी बिक्री भारत में नामचीन कंपनी इफको, क्रभो, आईपीएल आदि के नाम पर बेचा जा रहा है जिसके चलते किसान का खरीद के समय एवं उत्पादन में नुकसान हो रहा है।
24. जनपद गौतमबुद्धनगर में किसानो की आबादी का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाए तीनों प्राधिकरण से किसानों का 64 प्रतिषत अतिरिक्त मुआवजा अविलंब दिलाया जाये। भूमि अधिग्रहण के कारण 6 प्रतिषत मिलने वाली जमीन का आवंटन सभी किसानों को अविलम्ब किया जाये। भूमि की कमी के चलते आवंटन ई-नीलामी के आधार पर की जाये। ग्रेटर नोयड़ा विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत आने वाले गांव एच्छर, दुगलपुर हल्दाना, कासना, गोजरपुर में कुछ न्यायालय इलाहाबाद के आदेष के बावजूद भी कुछ किसानों को 26 रू0 के अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है। उपरोक्त गांवों में शेष किसानों को 26 रू0 के अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान किया जाये।
25. यह कि उत्तर प्रदेष में मूंगफली नीति न होने के कारण बुन्देलखण्ड का किसान पूर्व फसल में 6783.00 रू प्रति क्विंटल की मूंगफली 3000.00 रू प्रति क्विंटल की दर से बेचने को मजबूर हुआ। महोबा, ललितपुर में जहां गेहूं खरीद के जनपद में 48-55 क्रय केन्द्र लगाये गये वहीं मूंगफली खरीद के 5-6 क्रय केंद्र लगाये गये। महोबा, ललितपुर के किसानों द्वारा जब मूंगफली को मण्डी में ले जाया गया तब जिलाधिकारियों के द्वारा एक आदेष पारित कर दिया गया कि मंूंगफली किसानों की खतौनी का सत्यापन होगा इस वजह से नेफेड व मण्डी व्यापारी व लेखपाल तहसीलदार द्वारा पूरे बुन्देलखण्ड जालौन, बांदा, हमीरपुर में मूंगफली किसानों का शोषण किया गया जिसकी जांच होनी चाहिये और वर्तमान जैद के किसानों की बोई गई फसल की खरीददारी तय होनी चाहिये।
26. यह कि बेमौसम बरसात ओला अतिवृष्टि से जो किसानों का नुकसान होता है 72 घण्टे में किसान को सूचना देना होता है किसान अषिक्षित जागरूक न होने के कारण प्रदेष की बीमा कंपनियां और इससे जुड़े विभाग अधिकारी अति ओलावृष्ठि और बेमौसम बरसात का लाभ ले रहे हैं और सरकार इस नियमावली में संषोधन होना चाहिये अन्यथा इसे बन्द कर देना चाहिये क्यूंकि प्रदेष का धन किसानों के नाम पर भ्रष्टाचार में ज्यादा जा रहा है और किसानों को कुछ नहीं मिल रहा है।
27. प्रदेष में कृषि मण्डी उत्पादन समितियां केवल खरीद तक सीमित हो गई है इनकी प्रासंगिकता बनाये रखने हेतु पैकेजिंग, ग्रेडिंग, ब्रांडिंग का कार्य मण्डी समिति द्वारा किया जाये। मण्डियों में किसानों की फसलों की वैल्यू एडिषन हेतु धानमिल/दालमिल/पालेसर/आटामिल आदि संयंत्रों की स्थापना की जाये जिससे किसान अपने खर्च पर धान का चावल, दाल, बेसन, तेल बनवाकर मण्डी की ब्रांड पर बेच सके। मण्डी समितियों में किसानों के लिये भण्डारण की व्यवस्था की जाये।
28. जनपद गौतमबुद्धनगर में करोडों रूपये की लागत से बनी भव्य फूलमण्डी को फिर से चालू कराया जाये।
29. पूरे उत्तर प्रदेष में जल जीवन मिषन के अन्तर्गत टंकियों की लाईन अनुबन्ध के विपरीत मषीनों के द्वारा सड़के तोडकर डाली गईं हैं पिछले 1 वर्ष से अधिक समय से गांव की सड़कें टूटी पडी हैं जिसपर आए दिन मोटरसाईकिल, बुग्गी, टैक्टर आदि उनके द्वारा तोड़ी गई सड़कों के गड्ढों में गिरने से दुर्घटना व वाहनों की क्षति हो रही है जबकि अनुबन्ध में यह लाइनें एचडीडी मषीनों द्वारा डाली जानी थीं पैसे बचाने के लिये जानबूझकर यह कार्य मैनुअल कराया गया है। अधिकारियों को कमीषन देकर इनके द्वारा अनापत्ती प्रमाण-पत्र भी हासिल कर लिये गये हैं इनकी जाॅंच कराकर इनके विरूद्ध ब्लैकलिस्ट किये जाने एवं ग्रामीण सड़कों को पूर्व की भंाति बनाये जाने के आदेष संबंधित विभाग को निर्गत किये जायें। इसके अन्तर्गत बिजनौर, मुजफ्फरनगर, बाराबंकी, गोण्डा, श्रावस्ती, अमरोहा, सीतापुर, लखनऊ, संभल में स्थिति कराये गये कार्यों की स्थितिबहुत दयनीय है। उपरोक्त जनपदों में कंपनियों द्वारा दूसरे पेटी डीलर से कार्य कराया जाता है जिसके रेट कम होने के कारण कार्य गुणवत्तापूर्वक नहीं हो पा रहा है जिसके कारण प्रदेष में एक दो जगह टंकी गिरने की सूचना भी प्रकाष में आई है।
30. लखनऊ विकास प्राधिकरण, नगर निगम द्वारा अवैध निर्माण, अनियमित कालोनी आदि के समय कोई कार्यवाही नहीं की जाती है अगर कोई जागरूक नागरिक या संगठन इसकी षिकायत करता है तो संबंधित व्यक्तियों से धन वसूली करके उसमें कोई कार्यवाही नहीं की जाती है इसके बाद अगर शासन से कोई आदेष निर्गत किये जाते हैं तो ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जाती है। इसे रोकने हेतु उस समय तैनात अवैध निर्माण कराने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाये।
31. विभिन्न जनपदों में सहकारी समिति एवं को-आपरेटिव बैंक द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड का भुगतान करने के बाद किसान क्रेडिट कार्ड की सब्सिडी महीनों तक वापस नहीं मिलती है किसान पोर्टल बंद होने के बाद करी जाती है इसमें सुधार करते हुये अन्य बैंकों की तर्ज पर 24 घण्टे के अन्दर वापस की जाये।
32. वन्य क्षेत्रों से लगते जनपद बिजनौर, लखीमपुरी खीरी, पीलीभीत, शाहजहांपुर में वन्य जीवों के हमलों में लगातार जनहानि, पशुहानि हो रही है जिससे किसानों का कृषि कार्य करना भी दूभर हो गया है। एक वृहद कार्य योजना बनाकर इसे रोकने हेतु आवष्यक कदम उठाये जायें।
33. पष्चिमी उत्तर प्रदेष में किसानों के निजी नलकूपों को चोरी की घटना करने वाले गैंग द्वारा कई वर्षों से टारगेट किया जा रहा है इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है इसके साथ-साथ बिजली विभाग के तार एवं ट्रांसफार्मर चोरी की घटनायें भी आम बात हो चुकी हैं लेकिन इन घटनाओं पर पुलिस का कोई ध्यान नहीं है इनके द्वारा इसे रोकने के लिये कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा रही है।
34. गांव के कुछ प्रभावषाली लोगों द्वारा आज भी थाना स्तर पर उत्पीडनात्मक कार्यवाही कराई जाती है थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरे चालू रखने के साथ-साथ क्षेत्राधिकारी स्तर पर इन कैमरों की माॅनिटरिंग की जाये प्रत्येक दिन थाने में चक्कर लगाने वाले लोगों को चिन्हित कर थाने प्रत्येक दिन थाने में चक्कर लगाने वाले लोगों को चिन्हित कर थाने में प्रवेष पर रोक लगायी जाये। उत्तर प्रदेष में पुलिस कर्मचारियों को आधुनिक प्रषिक्षण न होने के कारण कई बार मुठभेडों में जान गवानी पडती है इस तरह के कार्यों को अंजाम देने के लिये एक पेषेवर पुलिस का गठन किया जाये। प्रषिक्षण के साथ-साथ अत्याधुनिक शस्त्र एवं रक्षा उपकरण मुहैया कराये जायें।
35. उत्तर प्रदेष में नियम विरूद्ध परिवहन जैसे लकडी, भूसा, फसल अवषेष आदि का परिवहन खुले तौर पर किया जाता है जिसके लिये भूसा, फसल अवषेष को कम्प्रैस कर बंडल के रूप में परिवहन किया जाना अनिवार्य किया जाये इनके कारण बहुत जान सड़क हादसों में जा रही है। गैर कृषि कार्यों के लिये प्रयोग की जा रही ट्रालियों का साइज निर्धारित कर इनका पंजीकरण किया जाये। साइज निर्धारित न होने के कारण बडे-बडे डाले सडकों पर चलने के कारण आयदिन हादसे होते रहते हैं। इसे रोकने हेतु इस स्टैण्डर्ड साइज का निर्धारण किया जाये।
36. परिवहन विभाग की बसों का संचालन बहुत ही खराब है विभाग की बसें चाहे कितना भी जाम लगा हो बीच रोड़ में खडी कर दी जाती हैं जिससे भीषण जाम की स्थिति बन जाती है और वे एम्बुलेंस जैसी आपातकालीन सुविधा को भी बाधित करते हैं इस पर भी परिवहन विभाग को निर्देषित करंे जिससे जाम और आपातकालीन सुविधा बाधित न हो। डाइवरों को मानवता रूपी प्रषिक्षण देकर बसों का संचालन किया जाये।
37. शुगर मिलों द्वारा गन्ना ढुलाई हेतु ट्रांसपोर्ट का अनुबन्ध ट्रक के रूप में किया जाता है लेकिन गन्ने ढुलाई का कार्य बडे बडे ट्रालों से कराया जाता है जिसके कारण आयदिन बिजली के खम्भे टूटना, दुर्घटनायें हो रही हैं साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों को भी ओवरलोडिंग के कारण नष्ट किया जा रहा है। ट्रैक्टर ट्राॅला से गन्ना ढुलाई पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाये। अधिकतर जनपदों में परिवहन अधिकारियों द्वारा ओवरलोडिंग के नाम पर दलालों के माध्यम से प्रत्येक गाडी पर 5000 रूपये वसूल किये जाते हैं जिनकी एंट्री दर्ज हो जाती है उनका कोई चालान नहीं किया जाता लेकिन अगर किसान अपने घर के लिये मिट्टी का ट्राॅली या घर के निर्माण हेतु ईंट, बालू, मौरंग लेकर सड़क पर दिख जाता है तो परिवहन विभाग द्वारा लाखों का चालान कर दिया जाता है। प्रदेष भर में ओवरलोडिंग को पूर्णतयः बंद कराया जाये जिससे सड़क हादसों में कमी और सडकों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके।
38. राजधानी लखनऊ के आरटीओ आॅफिस ट्रांसपोर्ट नगर में आरटीओ की महिला स्टेनो संध्या कोई भी पत्र या लखनऊ आरटीओ में दलालों की षिकायत करो तो महिला स्टेनो संध्या द्वारा दलालों को बता दिया जाता है जिससे कई षिकायतकत्र्तों के बीच टीपी नगर के दलालों के बीच विवाद हो चुका है। महिला स्टेनो को यहां से हटाया जाये व तहसील मोहनलालगंज में आरटीओ आॅफिस लखनऊ की एक ब्रांच खोली जाये जिससे करोडों की आबादी वाले लखनऊ महानगर के किसानों को मोटरसाइकिल लाइसेंस बनाने की सुविधा हो सके।
39. प्रदेष की नहरों में टेल तक पानी की आपूर्ति सुनिष्चित कराई जाये। नहर सफाई कार्य ऐसे समय कराया जाये जिस समय किसानों को कम आवष्कता हो।
40. नहर में पानी आपूर्ति सुनिष्चित की जाये जिससे क्षेत्र को रेगिस्तान बनने से बचाया जा सके।
41. बुन्देलखण्ड में सिंचाई विभाग का सिस्टम पूरी तरह से चोक हो चुका है सभी नहरों, रजवायें, बांध की सफाई कराकर क्षतिग्रस्त स्थानों की मरम्मत करायी जाये। बुन्देलखण्ड में पंचनदा परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाये। प्रदेष की नहरों से महानगरों को पानी की आपूर्ति करना किसान हितों से खिलवाड है। उदाहरण के तौर पर आगरा, मेरठ जैसे शहरों में गंग नहर के पानी का इस्तेमाल प्यास बुझाने के लिये नहीं बल्कि कारों और घरों की धुलाई के लिये किया जाता है। प्रदेष की नहरें व रजवाये सूखे पड़े हैं।
42. नहरों पर अवैध कुलाबों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही की जाये।
43. प्रदेष में नई नहर परियोजनायें बनायी जायें।
44. बारिष के समय नेपाल के पानी के कारण उत्तर प्रदेष के कई जनपदों में बाढ़ के कारण अरबों रूपये की फसलों, पशुधन एवं जनहानि होती है। इसे रोकने हेतु नेपाल बाॅर्डर पर बडे बांध का निर्माण कराया जाये।
45. जनपद आगरा, मथुरा, लखनऊ, फतेहपुर, अलीगढ़, प्रयागराज, कानपुर, बाराबंकी, सीतापुर में निजी निवेष को प्रोत्साहित कर आलू के प्लांट की स्थापना करायी जाये जिससे किसानों को आलू का उचित लाभकारी मूल्य मिल सके।
46. जनपद कासगंज, सम्भल, रामपुर, जालौन, झांसी में किसानों को मटर का दाम नहीं मिल पाता है इसके लिये सभी जनपदों में ब्लाॅक स्तर पर मटर के फ्राॅजेन प्लांट स्थापित कराये जायें।
