कन्या पूजन में कितनी कन्या होनी चाहिए: नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित है। ऐसे में आप नौ दिनों में कन्या पूजन किया जा सकता है। लेकिन नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि को कन्या पूजन का अत्यधिक महत्व है। कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या 1-9 तक शामिल कर सकते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जितनी कन्या होती हैं, वैसा ही फल प्राप्त होता है।
*संख्या के अनुसार कन्या पूजन का फल-*
1 कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य, 2 कन्याओं की पूजा से भोग, 3 कन्याओं की पूजा से पुरुषार्थ, 4 व 6 कन्याओं की पूजा से बुद्धि व विद्या, 6 कन्याओं की पूजा से सफलता, 7 कन्याओं के पूजन से परमपद, 8 कन्याओं के पूजन से अष्टलक्ष्मी व 9 कन्याओं के पूजन से सभी ऐश्वर्य के प्राप्त होने की मान्यता है।
*किस उम्र की हो कन्या- कन्या पूजन में 2 साल से 10 साल तक की कन्याओं को शामिल कर सकते हैं। हिंदू धर्म में हर उम्र की कन्या को मां दुर्गा का अलग-अलग स्वरूप माना जाता है*
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*महाष्टमी और नवमी तिथि और मुहूर्त*
*हिंदू पंचांग के अुनसार, अष्टमी तिथि 4 अप्रैल को रात 8:12 मिनट से शुरू होकर 5 अप्रैल 7:26 मिनट पर समाप्त होगी. उदिया तिथि के अुनसार, अष्टमी तिथि 5 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी. इसके बाद ही नवमी तिथि शुरू हो जाएगी. इस बार 6 अप्रैल को नवरात्र के नवमी तिथि के साथ रामनवमी भी है. कन्या पूजन करने वाले लोग इस दिन भी कन्या पूजन के साथ पारण भी कर सकते है*
*कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त*
*महाअष्टमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त: 5 अप्रैल सुबह 11:59 से लेकर 12:29 तक कर सकते हैं.
महानवमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त: 6 अप्रैल को सुबह 11:59 से दोपहर 12:50 तक कन्या पूजन कर सकते हैं*
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*(अष्टमी और नवमी पूजन विधि)*
*कन्या पूजन में ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें. स्वच्छ कपड़े पहनें. अपने घर की मंदिर को साफ करें. थोड़ा गंगाजल का छिड़काव करें. फिर मां दुर्गा का चित्र या मूर्ति का गंगाजल से अभिषेक करें. मां को लाल फूल, फल, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्म आदि चढ़ाएं. फिर देवी को उनका प्रिय भोग लगाएं. अष्टमी को मां महागौरी की पूजा होती है और नवमी को मां सिद्धदात्री की पूजा होती हैं. इस दिन मां को खीर-पूरी और चने की सब्जी को भोग लगता है. फिर दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. आखिर में मां की आरती करें. आप अष्टमी और नवमी दोनों दिन हवन और कन्या पूजन कर सकते है*
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*(कन्या पूजन विधि )*
*कन्या पूजन के बिना नवरात्र अधूरे हैं. मान्यता है कि नवरात्र में कन्या पूजन करने से मां की विशेष कृपा होती है और मां को प्रसन्न करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. कन्या पूजन करना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि कहा जाता ये छोटी कन्याएं मां दुर्गा की स्वरूप होती हैं. इनका पूजन करना, सम्मान करना मां दुर्गा की पूजा के समान होता है*
*अष्टमी या महानवमी पर कन्या पूजन से एक दिन पहले ही कन्याओं का घर आने का निमंत्रण दे आएं. जब कन्याएं पूजन के दिन आएं तो पहले सम्मान के साथ घर में उनका स्वागत करें. फिर उनके पैर धुलाएं. फिर साफ आसन पर बैठाएं. उनकी आरती करें. चंदन का टीका लगाएं और हाथ में रक्षासूत्र बांधें. फिर उन्हें भोजन कराएं. ध्यान रखें उनके खाने में लहसून-प्याज न हो. खाने में खीर-पूरी, चने की सब्जी आदि खिलाएं. फिर भोजन होने के बाद उनके हाथ धुलाएं. उसके बाद दान दक्षिण और उपहार देकर उनके पैर छूकर प्रणाम करें. मां के जयकारे लगाकर उन्हें सम्मानपूवर्क विदा करें*
