मुजफ्फरनगर। पुरानी पेंशन बहाली मंच, अटेवा मुजफ्फरनगर के तत्वावधान में पुलवामा आतंकी हमले मे शहीद हुए अर्धसैनिक बलों की स्मृति में नुमाईश मैदान स्थित शहीद स्मारक पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।
14 फरवरी 2019 को आतंकवादियों द्वारा किए गए कायराना हमले में भारत के 44 वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति माँ भारती के चरणो मे दी थी। अपने वीर सपूतों को याद करते हुए और उनको अपनी श्रद्धांजलि देते हुए मुजफ्फरनगर के नागरिको द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा मे मुज़फ्फ़रनगर के शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों, समाज-सेवकों एवं जनमानस ने हिस्सा लिया ।
पुरानी पेंशन बहाली मंच अटेवा के जिलाध्यक्ष प्रीत वर्धन शर्मा ने अमर वीर जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत वीरो की भूमि है। भारत का प्रत्येक नागरिक माँ भारती के चरणों मे अपने प्राण न्योछावर करने को सदा तैयार रहता है। आतंकवादियो के कायराना एवं वीभत्स हमलो का जवाब देने मे हमारी सेना पूर्णतः सक्षम है। वीर सैनिको के बलिदान को व्यर्थ जाने नही दिया जाएगा। हमारे बहादुर सैनिक देश को आतंकवाद मुक्त करके ही दम लेंगे। मीडिया के माध्यम से अर्धसैनिक बलो के जवानों की पीडा को साझा करते हुए उन्होने कहा कि देश के अर्धसैनिक बलों के जवान अपने प्राणों की बाजी लगाकर देश की सेवा करते है लेकिन उसके बावजूद उन्हे पुरानी पेंशन जैसी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है। उन्होने आगे कहा कि पुरानी पेंशन सैनिकों, अर्द्धसैनिक बलों के बुढ़ापे का सहारा है। इसी पुरानी पेंशन के बल पर ये लोग अपना शेष जीवन स्वाभिमान के साथ जी सकते है। नई पेंशन व्यवस्था बाजार आधारित है और पूर्णत व्यापारियों के हाथों में है। यह व्यवस्था सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने मे पूर्णतः असमर्थ है। अर्धसैनिक बलों की पुरानी पेंशन बहाल करना ही उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जिला उपाध्यक्ष डॉ दीपक गर्ग ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के अर्द्धसैनिक बल के जवानों को पुरानी पेंशन जल्द से जल्द दी जानी चाहिए।
श्रद्धांजलि सभा में मुजफ्फरनगर के विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं जनमानस ने हिस्सा लिया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। यशपाल अरोरा, मनोज कुमार, डॉ दीपक गर्ग, सुनील पवार, ऊषा रानी, मोनिका राठी, संध्या रानी, प्रियंका शर्मा, दिनेश कश्यप, महेंद्र सैनी, दिवाकर शर्मा, एन के तोमर, रमेश चंद, सार्थक शर्मा, प्रमोद बच्चस आदि का सहयोग रहा।
