प्रयागराज । महाकुंभ 2025 प्लेट और बैग संग्रह अभियान के चलते कूडा फेलाने वाले दोने पत्तल आदि से काफी निजात मिली है।
कुल संग्रह:
प्लेटें: 14,17,064
बैग: 13,46,128
ग्लास: 2,63,678
कवर किए गए राज्य: 46 में से 43 (मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर)
संग्रह बिंदु: 7,258
भाग लेने वाले संगठन: 2,241
(इस गिनती से परे अतिरिक्त सामग्री प्राप्त हुई। कुंभ के दौरान 10 लाख से अधिक प्लेटें, 13 लाख बैग और 2.5 लाख गिलास वितरित किए गए।)
उपलब्धियां:
1. डिस्पोजेबल कचरे में कमी: महाकुंभ में डिस्पोजेबल प्लेटों और कटोरों (पत्तल-दोना) का उपयोग 80-85% तक कम हुआ।
2. अपशिष्ट में कमी: अपशिष्ट उत्पादन में लगभग 29,000 टन की कमी आई, जबकि अनुमानित कुल अपशिष्ट 40,000 टन से अधिक हो सकता था।
3. लागत बचत: डिस्पोजेबल प्लेटों और कटोरों पर प्रतिदिन ₹3.5 करोड़ की बचत हुई, जो 40-दिवसीय आयोजन में कुल ₹140 करोड़ थी। (इसमें परिवहन, ईंधन, सफाई कर्मचारी और अन्य संबंधित लागतें शामिल नहीं हैं।)
4. खाद्य अपशिष्ट में कमी: पुन: प्रयोज्य प्लेटों में भोजन परोसे जाने के कारण बचे हुए खाद्य अपशिष्ट में 70% की कमी आई।
5. धार्मिक रसोई के लिए बचत: अखाड़ों, भंडारों और सामुदायिक रसोई के लिए महत्वपूर्ण लागत बचत, जो अन्यथा डिस्पोजेबल वस्तुओं पर लाखों खर्च करते।
6. दीर्घकालिक प्रभाव: आयोजन में वितरित की जाने वाली स्टील की प्लेटों का उपयोग वर्षों तक किया जाएगा, जिससे अपशिष्ट और लागत में कमी जारी रहेगी।
7. सांस्कृतिक बदलाव: इस पहल ने सार्वजनिक आयोजनों के लिए “बर्तन बैंकों” के विचार को प्रोत्साहित किया है, जो समाज में संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
8. सामुदायिक भागीदारी: इस बड़े पैमाने के अभियान को शून्य बजट के साथ, केवल सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया, जिसमें 2,241 संगठन और 7,258 संग्रहण बिंदु शामिल थे।
