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धूम धाम से मनाया गया वसंत पंचमी का पर्व

मुजफ्फरनगर। धूम धाम से मनाया गया वसंत पंचमी का पर्व।

बसंत पंचमी को भारतीय प्रज्ञान परिषद के तत्वाधान में मां सरस्वती के पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मां शारदा के गुणगान एवं यज्ञ का आयोजन हुआ कार्यक्रम का प्रारंभ देवताओं के आह्वान निवेदन उसके पश्चात यज्ञ पंडित आचार्य अमित तिवारी द्वारा किया गया यज्ञ के मुख्य यजमान जिला मुजफ्फरनगर के लोकपाल नीरज कुमार शर्मा एवं उनकी धर्मपत्नी मंजू शर्मा सदस्य किशोर न्याय बोर्ड मुजफ्फरनगर रही सैकड़ो प्रबुद्ध महिला पुरुषों ने कार्यक्रम में भाग लिया वह भोजन प्रसाद ग्रहण किया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीरज शर्मा जिला लोकपाल मनरेगा मुजफ्फरनगर में बसंत पंचमी के के महत्व के बारे में बताया उन्होंने कहा की प्राचीन काल से ही बसंत पंचमी उत्सव भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है इस दिन मां शारदे का जन्म दिवस भी होता है एवं उनकी पूजा सिंह के साथ होली दहन के स्थान पर झंडा लगाया जाता है। वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक प्राचीन त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल समेत संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप विभिन्न प्रकार से बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं।

प्राचीन भारत और नेपाल में संपूर्ण वर्ष को जिन छह ऋतुओं में विभाजित किया जाता था उनमें वसंत ऋतु लोगों का सबसे प्रिय ऋतु था। जब पुष्पो आ जाते, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। भर भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा उत्सव मनाया जाता था जिसमें श्रीविष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी भिन्न भिन्न प्रकार से इसका चित्रण मिलता है।

सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान श्रीविष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने जीवों, विशेष रूप से मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें प्रतीत होता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण समग्र दिशाओं में मौन छाया रहता है। श्रीविष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा जी ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण पड़ते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा जी ने देवी से वीणा वादन का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती देवी से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन आपकी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई भागों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है। वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है।

उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्य कार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं शबरी मां के आश्रम में बसंत पंचमी के दिन ही दिन ही श्रीरामचंद्र जी आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।

कार्यक्रम के मुख्य यजमान नीरज शर्मा ने बताया कि वसंत पंचमी को ही विख्यात राजा भोज का जन्म हुआ था एवम् पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी का वध इसी दिवस किया था। आज का दिन बलिदान का दिवस भी है सनातन धर्म पर गौरव करने का दिवस भी है आज ही के दिन कट्टरपंथी मजहबी लोगों द्वारा वीर हकीकत राय पर अत्याचार कर उनको शहीद किया गया था पर वीर हकीकत राय मर कर भी अमर हो गया हकीकत राय बलिदान दिवस के रूप में भी बसंत पंचमी को याद किया जाता है इस अवसर पर हम भी हकीकत राय को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए कार्यक्रम के पश्चात मां सरस्वती की आरती एवं सनातन धर्म की रक्षा हेतु संकल्प लिया गया कार्यक्रम में मुख्य रूप से ओमप्रकाश धीमान, रामपाल धीमान, एडवोकेट रामफल सिंह पुंडीर, ठाकुर चमन सिंह शिक्षाविद उमाशंकर शर्मा रवि शर्मा सचिन शर्मा अमित कृष्णा संपादक प्रभु न्यूज़ डॉक्टर डीके शर्मा सतबीर प्रवीण सैनी राजेंद्र प्रताप ज्योतिष विद, एडवोकेट रणजीत त्यागी,शुभम कुमार जिला संगठन मंत्री विश्व हिंदू परिषद राष्ट्रपति गौतम, सुशील गोयल, राजन शर्मा, धीरज शर्मा,सूरज शर्मा अभिनन्दिनी शर्मा वंशिका शर्मा अक्षरा शर्मा पुष्टि शर्मा लक्ष्य शर्मा,संजय अग्रवाल प्रबंधक केशव पुरी विद्या मंदिर इंटर कॉलेज भारतीय जनता पार्टी जिला मंत्री सुधीर खटीक, विकास बंसल नीटू बंसल आचार्य बृजदेव मनीष बंसल, रचना शर्मा, सुलोचना शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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Author: Taja Report

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