मुजफ्फरनगर। वैश्य सभा जनपद मुजफ्फरनगर में आज लाला लाजपत राय जी के जन्मदिन पर वैश्य सभा कार्यालय गुदड़ी बाजार पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी की अध्यक्षता कृष्ण गोपाल मित्तल और संचालन महामंत्री अजय सिंघल ने किया ।कृष्ण गोपाल मित्तल तथा अजय सिंघल ने कहा कि युवा पीढ़ी को लाला लाजपत राय जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके पद चिन्हों पर चलना चाहिए। प्रोफेसर आर के गर्ग ने बताया कि लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को अविभाजित पंजाब के लुधियाना मेंएक सम्पन्न परिवार में हुआ था, लालाजी ने हिंदू समाज में पहले कुरीतियों ,धार्मिक अंधविश्वासों के विरुद्ध कार्य किया ,जैसे की मृत्यु भोज पर पाबंदी लगाना, दहेज के विरुद्ध ,विधवा विवाह के समर्थन में नारी शिक्षा व उनके उत्थान के समर्थन में उन्होंने बहुत कार्य किया । लालाजी ने गुलाब देवी ट्रस्ट चैरिटेबल हॉस्पिटल वह पंजाब नेशनल बैंक की भी स्थापना की। वकालत पास करने के बाद लाहौर हाई कोर्ट में 1892 से 1914 तक वकालत की 1914 में देश की स्वतंत्रता आंदोलन में पूर्ण रूप और सक्रिय हो गए। 1920 में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया व गांधी जी के असहयोग आंदोलन को सहमति दिलाने में लाल जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।1919 में अंग्रेजों ने रोलेट एक्ट जैसा काला कानून पारित किया जिसमें किसी भी व्यक्ति को राष्ट्र द्रोह का आरोप लगाकर बिना कोई चार्ज शीट के गिरफ्तार किया जा सकता था । इसी के तहत 1921 में उन्हें बिना किसी कारण वर्मा के जेल में कैद कर लिया गया उनको जेल भेजने के विरुद्ध जनता प्रदर्शन करने लगी इस कारण उन्हें रिहा करना पड़ा इसी बीच 1921 में काकोरी में चोरा चोरी कांड के बाद गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लेने के कारण उनका मन कांग्रेस से उचटने लगा। ब्रिटिश सरकार ने भारत में अपने शासन को मजबूत बनाने के लिए साइमन कमीशन की स्थापना की जिसका नाम संविधान सुधार दिया गया इसका पूरे भारत में भारी विरोध हुआ 30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन के लाहौर पहुंचने पर भारत के इस महानायक पंजाब केसरी लाला जी लाजपत राय ने साइमन कमीशन का विरोध करने वाले जुलूस का नेतृत्व किया। व साइमन कमीशन गो बैक, वापस जाओ के नारा दिया। क्रूर अंग्रेज सैनिकों में निष्ठुर पुलिस प्रमुख सांडर्स ने भारत के वीर सपूत को लाठियों के प्रहार से लहू लुहान कर दिया उस समय लाल जी ने कहा था मेरे शरीर पर पड़ी एक एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी और अंत में लाल जी 17 नवंबर 1928 को भारत माता की गोद में सोकर सदा सदा के लिए अमृत्व को प्राप्त कर गए। लाला जी की शहादत पर पर चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और क्रांतिकारियों ने कसम खाई थी इस जानलेवा हमले का बदला लिया जाएगा और लाला जी की मौत के ठीक 1 महीने बाद 17 दिसंबर को सांडर्स को भी सड़क पर गोली से उड़ा दिया।
गोष्ठी में कृष्ण गोपाल मित्तल अध्यक्ष, अजय कुमार सिंघल महामंत्री, जनार्दन स्वरूप कोषाध्यक्ष योगेश सिंघल भगत जी, संजय गुप्ता, संजीव गोयल, प्रो आर के गर्ग, अजय गर्ग आदि ने प्रतिभाग किया।
