Taja Report

पहाड़ से मैदान तक बर्फ और बारिश से ठिठुरी जिंदगी

नई दिल्ली। रिकॉर्ड बारिश व बर्फबारी से उत्तर भारत ठिठुरा, कश्मीर-केदारनाथ तक चोटियों पर बिछी सफेद चादर पश्चिमी हिमालयी राज्यों में बर्फबारी और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में रिकॉर्ड बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। पारा लुढ़कने से ठिठुरन बढ़ गई है। सड़क, रेल व हवाई यातायात बाधित हुआ है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में केदारनाथ तक बर्फ की सफेद चादर बिछी है। भारी हिमपात से इन राज्यों में लगभग सभी राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गए। इससे रास्ते में सैकड़ों वाहनों में हजारों सैलानी फंसे हैं। अब तक 10,000 से अधिक सैलानियों को सुरक्षित निकाला गया है।

एनसीआर से लेकर यूपी, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान में भी पारा गिरा है। रविवार को तापमान 2-3 डिग्री और गिर सकता है। घने कोहरे की भी संभावना है। बारिश ने प्रदूषण से राहत दी है। शनिवार शाम दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 135 रहा। शुक्रवार को एक्यूआई 300 से अधिक था।

सेना ने गुलमर्ग में फंसे 68 पर्यटकों को सुरक्षित निकाला है। श्रीनगर-सोनमर्ग हाईवे बंद होने से फंसे पंजाब के सैलानियों को स्थानीय लोगों ने रात में एक मस्जिद में ठहराया। खराब मौसम के कारण श्रीनगर हवाईअड्डे से शनिवार को सभी उड़ानें रद्द कर दी गईं। बनिहाल-बारामुला खंड पर ट्रेनों का संचालन रोकना पड़ा। कुलगाम, गुलमर्ग, सोनमर्ग, जोजीला, पहलगाम, गुरेज में डेढ़ फीट तक बर्फबारी हुई। श्रीनगर-जम्मू व श्रीनगर-लेह राजमार्ग बंद करना पड़ा है।

हिमाचल में रोहतांग दर्रे में पांच फीट बर्फबारी हुई। अटल टनल के पास और छितकुल में 3 फीट बर्फ गिरी। मनाली पुलिस ने सोलंगनाला से 2,000 वाहनों में फंसे करीब 10 हजार सैलानियों को मनाली पहुंचाया। प्रदेश में तीन राजमार्ग व 150 से ज्यादा सड़कें बंद हैं। उत्तराखंड में बदरीनाथ, केदारनाथ व चमोली-कुंड हाईवे को बंद करना पड़ा है। चीन की सीमा तक जाने वाले जोशीमठ-नीति राजमार्ग को भी बंद करना पड़ा है।

लगातार हो रही बारिश को देखते हुए पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्हें बारिश और नमी से फसलों को बचाने के लिए उपाय करने को कहा गया है।

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि बारिश जहां गेहूं की फसल के लिए अच्छी साबित होगी, वहीं सब्जियों और सरसों के लिहाज से खासी नुकसानदायक है। एक जनवरी तक के लिए जारी परामर्श में किसानों से कहा गया है कि आने वाले दिनों में बारिश की संभावना को देखते हुए खड़ी फसलों में सिंचाई और किसी भी प्रकार का छिड़काव करने से बचें। सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करने को भी कहा गया है। प्याज की रोपाई से पहले गोबर की खाद और पोटास उर्वरक का प्रयोग अवश्य करने की सलाह दी गई है।

गोभी और उसी तरह की सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहने और जरूरी होने पर बीटी को 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या एक मिली स्पेनोसेड दवा को तीन लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। आम के पेड़ों को कीटों से बचाने के लिए जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर चारों तरफ 25 से 30 सेमी चौड़ी अल्काथीन की पुताई करने को कहा गया है।

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Author: Taja Report

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