मुजफ्फरनगर । श्रीराम कॉलेज के सभागार में कृषि विभाग द्वारा, ’’इन्डो-ड़च वर्कशाप ऑन प्रोडक्शन टैकनीक ऑफ लिलियम कल्टीवेशन’’ विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जूस्ट दी जोंग, कंट्री हैड, वी0डब्ल0ूएस0 फलॉवरबुल्बस, हॉलैंड रहें तथा विशिष्ट अतिथियों में श्रीराम ग्रुप आफ कालिजेज के चेयरमैन डा0 एससी कुलश्रेष्ठ, श्रीराम कॉलेज के निदेशक डा0 अशोक कुमार, श्रीराम कॅालेज की प्राचार्या डा0 प्रेरणा मित्तल, कृषि विज्ञान के विभागाध्यक्ष डा0 मौ0 नईम, बायोसाइंस के विभागाध्यक्ष डा0 विपिन सैनी आदि उपस्थित रहे।
अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र की शुरूआत दीप प्रज्जवलन के साथ हुई। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जूस्ट दी जोंग कंट्री हैड, वी0डब्ल0ूएस0 फलॉवरबुल्बस, हॉलैंड रहें तथा विशिष्ट अतिथि श्रीराम ग्रुप आफ कालिजेज के चेयरमैन डा0 एससी कुलश्रेष्ठ, श्रीराम कॉलेज के निदेशक डा0 अशोक कुमार, श्रीराम कॅालेज की प्राचार्या डा0 प्रेरणा मित्तल, कृषि विज्ञान के विभागाध्यक्ष डा0 मौ0 नईम आदि रहे।
कार्यक्रम की शुरूआत में प्रवक्ता डा0 उमारा रहमानी, सहायक अध्यापिका, कृषि विज्ञान विभाग द्वारा सभागार में उपस्थित मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि अन्य अतिथियों एवं श्रोताओं के समक्ष पावर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलिजेज, संस्थापक चेयरमैन डा0 एससी कुलश्रेष्ठ को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली उपलब्धियों से अवगत कराया साथ ही संस्थान द्वारा उच्च शिक्षा एवं खेलों के क्षेत्र में संस्थान के महत्वपूर्ण योगदान एवं उपलब्धियों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने इस प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि संस्थान नियमित रूप से विद्यार्थियों को कैम्पस प्लेसमंेट के द्वारा रोजगार प्राप्ति के क्षेत्र में सहायता करता है साथ ही विद्यार्थियों को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रोत्साहित कर उनको आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रहा है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता जूस्ट दी जोंग कंट्री के हैड, वी0डब्ल0ूएस0 फलॉवरबुल्बस, हॉलैंड ने कहा कि फूल उत्पादन में हॉलैंड जिसको नीदरलैंड के नाम से भी जाना जाता है, का वर्ल्ड में फूल उत्पादन में पहला नम्बर है, तथा यहां की जनसंख्या 17.6 मिलियन जो कि भारत का 79 वां भाग है। हॉलैंड के अन्दर जमीन समुद्री तल से नीचे है जिसमें कुल एनर्जी का 50 प्रतिशत भाग पानी को निकासी करने में चला जाता है। मुख्य अतिथि द्वारा बताया गया कि वी0डब्ल0ूएस0 फलोवेरबुलबस,फूल उत्पादन कम्पनी मुख्यतः लिलियम, ग्लेडियोलस, टूलिप के फूलों का बीज तैयार करती है तथा यह बीज कन्द के रूप में तैयार होता है एवं बीज की सप्लाई देश और विदेशों तक की जाती है। जिसमें भारत के अन्दर लिलियम की सप्लाई अधिक की जाती है क्योंकि लिलियम का फूल लगभग 30 रू0 प्रति फूल कीमत होती है तथा 1 एकड़ में लगभग 25-30 लाख रूपये का लिलियम तैयार हो जाता है। इसको तैयार करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का तापमान के अनुसार नवम्बर से लेकर मार्च माह तक आसानी से उत्पादन किया जा सकता है। जिसके उत्पादन के लिए पोली हाउस की आवश्यकता पड़ती है जिसमें तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है और ग्लेडियोलस का बीज भारत में आसानी से तैयार होता है तो इसे हॉलैंड से मंगवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लिलियम की खेती करने के लिए बहुत सावधानियाँ एवं रख-रखाव की आवश्यकता पड़ती है। जिसके कारण भारतीय बाजार में इसकी मांग कम होने के कारण भारत में लिलियम को नहीं उगाया जाता है। लिलियम केवल मुगल गार्डन, नई दिल्ली एवं श्रीनगर में स्थित लिलियम गार्डन में इसके फूल देखने को मिलेंग, इसी के साथ में जूस्ट दी जोंग ने श्रीराम कॉलेज के चैयरमेन के साथ मिलकर श्रीराम कॉलेज एवं वी0डब्ल0ूएस0 फलॉवरबुल्बस, हॉलैंड के साथ एक एम0ओ0यू0 कराया गया। इस एम0ओ0यू0 के तहत श्रीराम कॉलेज से पास होने वाले विद्यार्थी प्लेसमेंट के लिए वी0डब्ल0ूएस0 कम्पनी में जॉब करने के लिए जा सकेंगें। जो कि छात्रों के भविष्य के लिए एक अच्छा स्रोत है। इसके साथ डॉ0 जूस्ट दी जोन्ग ने लिलियम के उत्पादन की बारीकीयो एवं गुणवत्ता को बढ़ाने की तकनीक छात्रों को अच्छी तरीके से समझायी।
इस अवसर पर श्रीराम ग्रुप आफ कालिजेज के संस्थापक चेयरमैन डा0 एससी कुलश्रेष्ठ के द्वारा कृषि में फूलो खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया, साथ ही यह भी बताया कि यदि किसान गेंहू की खेती करता है तो उसे कम लाभ होता है। जबकि यदि किसान फूलों की खेती करता है तो उसे अधिक लाभ प्राप्त होता है। चेयरमैन सर ने यह भी बताया कि यदि खेत में महंगी फसल बोयी जायेगी तो मुनाफा भी ज्यादा होगा एवं फूलों की खेती में अधिकतर वो फूल उगाने चाहिए जो कि अन्य कोई नहीं उगा सकता। साथ ही साथ चेयरमैन सर ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि फूल प्रेम एवं प्रसन्नता का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि श्रीराम कॉलेज में इंडोर प्लांटस से लेकर विभिन्न प्रकार के महंगे पौधे उगाये जाते हैं। चेयरमैन सर ने जरबेरा फूल के विषय में बताते हुए कहा कि जरबेरा फूल 1 रू0 से लेकर 14 रू0 तक के मूल्य में बिकता है। उन्होंने कहा यदि कृषि के अन्तर्गत हम फूल उत्पादन की बात करें तो इसमें हॉलैंड का आधिपत्य स्थापित है।
कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए श्री राम कॉलेज के निदेशक डॉ0 अशोक कुमार ने कि एक दिवसीय कार्यशाला में फूल उत्पादन का संक्षिप्त वर्णन करते हुए बताया कि जर्मनी विश्व में सबसे बड़ा निर्यात करने वाला देश है एवं उन्होंने बताया कि भारत में केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र मुख्यतः फूल उत्पादन करने वाले राज्य हैं। फूल उत्पादन के लिए 15-20 डिग्री से0 तापमान की आवश्यकता होती है एवं उन्होंने फूलों की तीन प्रकार की मुख्य प्रजातियों के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि लिलियम, टूलिप्स, ग्लेडियोलस की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने मुख्य अतिथि जूस्ट दी जोंग से फूल उत्पादन पर कई प्रश्न किए। मुख्य अतिथि ने सभी प्रश्नों का उत्तर देते हुए विद्यार्थियों को संतुष्ट किया।
मुख्य अतिथि को चेयरमैन सर एवं निदेशक द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंटकर के उनका अभार व्यक्त किया गया, श्रीराम कॉलेज की प्राचार्या डॉ0 प्रेरणा मित्तल के द्वारा अतिथियों का धन्यवाद व्यक्त किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन कृषि विज्ञान की प्रवक्ता डॉ0 उमारा रहमानी ने किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीराम कॉलेज के निदेशक डॉ0 अशोक कुमार, श्रीराम कॅालेज की प्राचार्या डॉ0 प्रेरणा मित्तल, डीन, कम्प्यूटर एप्लीकेशन डॉ0 निशांत कुमार राठी, विभागाध्यक्ष डॉ0 नईम, डॉ0 अंजली, डॉ0 आबिद अहमद, डॉ0 प्रवीण मलिक, डॉ0 विक्रांत, डॉ0 मनोज कुमार, डॉ0 प्रदीप सिंह, डॉ0 रिया कुमारी एवं राजकुमार का सराहनीय योगदान रहा।
