मुजफ्फरनगर । नीलामी से पहले ही संपत्ति पर लोन पास हो गया। पंजाब नेशनल बैंक के एक मुख्य प्रबंधक ने कुछ लोगों के साथ साजिश करके श्री राम समोसे की बिल्डिंग पर यह घोटाला किया। बताया जाता है कि बैंक प्रबंधक समेत एक रैकेट शामिल है, जो बैंक से नीलाम होने वाली सम्पत्तियों को औने पौने दाम में खरीद रहा है और कोई विरोध करता है तो अलग अलग लोगों से धमकी दिलवाता है।
भोपा रोड पर श्री राम स्वीट्स के समोसे शहर में बहुत प्रसिद्ध है। यह फर्म वित्तीय दबाव में आई, तो पंजाब नेशनल बैंक से लिया इसका लोन NPA हो गया, बैंक ने इन्हें नोटिस दिए, नोटिस देने के बाद बैंक ने संपत्ति पर कब्जा कर लिया और 12 अप्रैल 2022 को नीलामी करके सबसे बड़े बोली दाता को बेच भी दी। सरसरी तौर पर देखें तो यह आपको बैंक डिफॉलटर के साथ सामान्य प्रक्रिया ही नज़र आएगी। लेकिन जो मकान अभी आपका है और बैंक में बंधक है और किसी वजह से बैंक उसको नीलाम करने की तैयारी कर रहा है, उसके कागज भी बैंक में जमा है, ऐसे में भी कोई अन्य वित्तीय संस्था, उसी प्रॉपर्टी पर 45 लाख का लोन उस व्यक्ति के नाम कर देती है, जो अगले महीने बैंक की नीलामी में उस सम्पत्ति को खरीदने वाला होता है।
बैंक प्रबंधक जसविंदर सिंह 12 अप्रैल को नीरज गोयल निवासी गाजावली को राम समोसे वाले, प्रदीप मित्तल की द्वारकापुरी स्थित सम्पत्ति,मकान नंबर 15, गली नंबर एक, सबसे बड़ी बोली होने के कारण, नीलाम करके बेच देते है,
जिसके बाद 25 प्रतिशत धनराशि जमा करने की चिट्ठी जारी कर देते है, लेकिन मजे की बात है जो सम्पत्ति अभी भी नीलामी की प्रक्रिया में ही है, उससे पहले ही, उस सम्पत्ति पर सेवी फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी नयी दिल्ली 28 मार्च 22 को ही 45 लाख का लोन मंजूर कर देती है।
फाइनेंस कंपनी के प्रेम कुमार अग्रवाल कहते है कि लोन बैंक और खरीदार के बीच हुए लोन एग्रीमेंट के आधार पर मंजूर किया गया है, तो सवाल उठता है कि जब नीलामी ही 12 अप्रैल को हुई तो बैंक मैनेजर को एक महीना पहले ही कैसे पता था कि नीरज गोयल ही सबसे बड़े बोली दाता होंगे ?, और उनके साथ बैंक ने नीलामी से पहले ही सेल एग्रीमेंट कैसे कर लिया था ? मजे की बात ये है कि साफ-साफ दिख रहा कि यह गोलमाल है, लेकिन मुजफ्फरनगर की पुलिस को नजर ही नहीं आ रहा है।
श्री राम स्वीट्स के मालिक प्रदीप मित्तल ने बताया कि उन्होंने एसएसपी समेत नई मंडी की सीओ रूपाली राव चौधरी को भी इस संबंध में 16 सितंबर को लिखित शिकायत दी थी लेकिन कई बार चक्कर काटने के बाद भी सीओ साहिबा को समय नहीं मिल पा रहा है कि मामले की जांच कर पाए।
कल ही उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने डीएम-एसएसपी को निर्देश दिए हैं कि पीड़ित की शिकायत पर जांच तत्काल की जाए और हर महीने कुछ शिकायतों पर खुद डीएम – एसएसपी भी स्थल निरीक्षण करके उनका निस्तारण करें।
