मुजफ्फरनगर। 2013 के सांप्रदायिक दंगे में लूटपाट और आगजनी के मामले में नामजद तीन आरोपियों को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। इस मामले में ेवादी मुकदमा सहित सभी पांच गवाह पक्षद्रोही हो गए थे।
सितंबर 2013 में जनपद में सांप्रदायिक दगा भड़क उठा था। आठ सितंबर 2013 को शामली जिले के गांव लिसाढ़ में हंगामा करते हुए कुछ लोगों ने एक घर पर हमला बोल दिया था। मामले में लिसाढ़ निवासी जिशान ने 19 सितंबर 2013 को कैराना थाना में तहरीर दी थी, जिसके बाद 22 सितंबर को थाना फुगाना में मुकदमा दर्ज किया गया था। जिशान ने बताया था कि आठ सितंबर की रात को वह अपने परिवार के साथ घर पर मौजूद था। आरोप था कि रात में सांप्रदायिक नारे लगाते हुए आक्रोशित भीड़ में शामिल अंकित पुत्र दरियाव कश्यप, नीटल उर्फ प्रमोद पुत्र सोमपाल और संदीप पुत्र जीवन ने उसके घर पर हमला बोलकर लूटपाट की थी। इसके बाद उसके घर में आग लगा दी गई, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ था। दहशत के चलते वह अपने परिवार के साथ घर छोड़कर चला गया था। कैराना राहत शिविर में शरण ली थी। एसआईटी के इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह ने मामले की विवेचना कर आरोपियों के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट जमा कर दी थी। मुकदमे की सुनवाई पोक्सो एक्ट कोर्ट-2 में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्ष की सुनवाई करने के बाद तीनों आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
