मुजफ्फरनगर। रामपुर तिराहा कांड को लेकर सुनवाई के दौरान उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब गवाही के लिए पहुंचीं 75 साल की बुजुर्ग गवाह ने उस दिन महिलाओं पर हुए जुल्मों को शर्मशार कर देने वाला बताते हुए कहा कि खुले न्यायालय में पीड़ा सुनाना मुश्किल है। उन्होंने इसके लिए अलग से कमरे की व्यवस्था करने की गुहार अदालत से लगाई। अदालत ने स्पष्ट किया कि कानून के अनुसार ही गवाही होगी। इसके बाद महिला की गवाही हुई।
रामपुर तिराहा कांड में उत्तराखंड के आंदोलनकारियों पर जुल्म और महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों पर अपर जिला जज एवं सत्र न्यायालय पॉक्सो-2 के पीठासीन अधिकारी अंजनी कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई हुई। उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और बचाव पक्ष के श्रवण कुमार एडवोकेट ने बताया कि चमोली से 75 साल की गवाह अदालत में हाजिर हुई। मौखिक रूप से पीड़िता का कहना था कि 30 साल पहले जो हुआ, उसे खुले न्यायालय के बजाए, अलग से कमरे में सुना जाना चाहिए। अदालत ने अलग से कमरे की व्यवस्था नहीं होने के विषय में स्पष्ट कर दिया। जिसके बाद पीड़िता के बयान दर्ज किए गए। उधर, सीबीआई के प्रार्थना पत्र पर आरोपियों को समन जारी कर दिए गए हैं। अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। अदालत ने आदेश दिया कि जिन उन आरोपियों का हाजिर रहना जरूरी होगा, जिनके संबंध में गवाही होनी है। सीबीआई ने अदालत में सूची दी, जिसके बाद समन जारी किए गए। अगर संबंधित आरोपी हाजिर नहीं हुए तो गैर जमानत वारंट जारी किए जाएंगे।
