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Electoral Bonds Verdict | ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ असंवैधानिक! सुप्रीम कोर्ट ने लगाया बैन, अब राजनीतिक दलों को फंडिंग की जानकारी देना जरूरी

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नई दिल्ली: आज यानी 15 फरवरी को इलेक्टेरल बॉन्ड (Electoral Bond) की कानूनी वैथता पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अपना फैसला दिया है।  इस बाबत CJI ने कहा कि, सर्वसम्मत फैसला है। चुनावी बॉन्ड के मामले पर आज कोर्ट ने कहा है कि लोगों को भी इस बारे में जानने का अधिकार है। बड़े चंदे गोपनीय रखना असंवैधानिक बात है। साथ ही SBI अब आगामी 6 मार्च तक चुनावी बॉन्ड की जानकारी दें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने  चुनावी बॉन्ड पर तत्काल रोक लगा दी है। 

बड़े चंदे गोपनीय रखना असंवैधानिक

दरअसल आज इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि, देश के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास आखिर पैसा कहां से आता है और कहां जाता है। सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ ने आज यह भी कहा कि कोर्ट का मानना ​​है कि, गुमनाम चुनावी बॉन्‍ड सूचना के अधिकार (RTI) और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है।  संविधान पीठ में प्रधान न्‍यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ ही जस्टिस संजीव खन्‍ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। 

क्या बोले CJI चंद्रचूड़ 

आज फैसले पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि दो मत है लेकिन दोनों एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते हैं।  दरअसल भारत सरकार साल 2017 में ये कानून लेकर आई थी।  आज सुप्रीम कोर्ट ने माना कि चुनावी बांड स्कीम सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को फंडिंग के बारे में जानकारी होने से लोगों के लिए अपना मताधिकार इस्तेमाल करने में भी स्पष्टता मिलती है। 

आज इस बाबत CJI ने कहा है कि, क्या 19(1) के तहत सूचना के अधिकार में राजनीतिक फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार शामिल है? सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आज यह भी कहा है कि इस अदालत ने सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों के बारे में जानकारी के अधिकार को मान्यता दी और यह केवल राज्य के मामलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सहभागी लोकतंत्र सिद्धांत को आगे बढ़ाने तक भी सीमित होता है। 

आखिर क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड 

दरअसल साल 2018 में इस बॉन्ड की शुरुआत हुई।  इसे लागू करने के पीछे यह मत और तर्क था कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन सरकार में आएगा।  इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं।  इस बाबत भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया।  ये शाखाएं 29  नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु में मौजूद हैं। 

 

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Author: Taja Report

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