गाजियाबाद। दो सौ से अधिक कारोबारियों ने करीब 400 फर्जी फर्म से कागज़ी कारोबार कर 550 करोड़ की जीएसटी चोरी की है। केंद्रीय जीएसटी विभाग ने फर्जी फर्मों से कारोबार का पता चलने पर 71 मामलों में छापे मारकर 23 कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया है। फर्जी फर्मो के सभी मामलों की जांच की जा रही है।
केंद्रीय जीएसटी विभाग जीएसटी चोरी पर अंकुश लगाने के लिए जीएसटीएन पोर्टल से नजर रखता है। बीते तीन साल में विभाग की प्रवर्तन शाखा के अधिकारियों ने जीएसटी चोरी तथा फर्जी कारोबार से आईटीसी क्लेम लेने वाले 71 कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की। विभाग ने 71 कारोबारियों के सवा सौ से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर फर्जी फर्मो से कारोबार में संलिप्त 23 कारोबारियों को गिरफ्तार किया है। छापेमारी में 400 से अधिक फर्जी फर्मो से कार्गजी कारोबार कर टर्नओवर बढ़ाने और विभाग से आईटीसी क्लेम उठाने का मामला सामने आया। फर्जी फर्म में लिप्त कारोबारी लोहा, आयरन स्टील, भवन सामग्री, पान मसाला, इलेक्ट्रॉनिक सामानों एवं रेडीमेड गारमेंट्स के ट्रेडिंग के काम में जीएसटी चोरी का खेल करते हैं। फर्जी फर्जीवाड़े में लिप्त कारोबारियों का नेटवर्क दिल्ली हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैला है।
विभाग की जांच में मास्टरमाइंड कारोबारियों के कई राज उजागर हुए। जांच में सामने आया कि कोई अपने ससुर और साले के नाम पर फर्जी फर्म बना कर कागज़ी कारोबार कर रहा है। तो कोई दोस्तों के नाम पर फर्जी फर्म बनाया है। विभाग के पूछताछ में फर्म मालिकों द्वारा नकारने के बाद यह खुलासा हुआ है। अधिकारियों की माने तो इन लोगों के आधार कार्ड, फोटो, पहचान पत्र और पैन कार्ड विश्वास में ले लिया जाता है। इसी से मास्टरमाइंड कारोबारी ऑनलाइन जीएसटी का पंजीयन ले लेते हैं। जबकि दोस्तों और रिश्तेदारों को इसकी भनक तक नहीं लगती।
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फर्जी फर्मो से कागजी कारोबार कर जीएसटी चोरी
कारोबारियों द्वारा इन फर्जी फर्मो के बिल -पर्चे से कागजी कारोबार किया जाता है। कर अधिवक्ता एसबी सिंह कहते हैं कि कारोबारी अपने बचाव में एक या दो असली फर्म का पंजीयन लेते हैं, जबकि फर्जी फर्मो के बिल से लाखों- करोड़ों का बिल बेचकर सिर्फ कागजों में कारोबार करते हैं। इस कारोबार में ना तो किसी सामान की खरीद होती है ना किसी सामान की बिक्री होती है। केवल कागजों में अन्य कंपनियों को बिल बेच कर कमाई करते हैं । असली पंजीयन वाले बिल बुक में महीने में दो या चार एंट्री ही दिखाई जाती है। जबकि फर्जी बिलों से करोड़ों का कारोबार करते हैं। इन पर उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है बल्कि टर्नओवर बढ़ाकर जीएसटी विभाग से लाखों- करोड़ों रुपए का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाते हैं।
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विभाग की प्रवर्तन शाखा द्वारा बीते 3 सालों में 400 से अधिक फर्जी फर्मो से 550 करोड़ की जीएसटी चोरी और आईटीसी क्लेम लेने का मामला पकड़ा गया है। इस अवधि 23 कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया है। सभी मामलों में जांच के बाद कर आरोपित कर वसूली की जाएगी।
-आलोक झा, आयुक्त केंद्रीय जीएसटी विभाग