मुजफ्फरनगर । श्रीराम ग्रुप आफ कॉलेजज के सभागार में भारत में सुरक्षित और किफायती पेयजल आपूर्ति के लिए सतत विकास व्यवसाय सत्यापन सर्वेक्षण एवं यू0वी0 सी0सी0एल0 तकनीक नामक विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर जापान की स्टेनली इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन लिमिटेड एवं जापान की ओ० ई० सी० कंपनी के उच्च स्तर के अधिकारियों ने भाग लेकर सेमिनार में संगोष्ठी का प्रतिनिधित्व किया। सेमिनार का उददेश्य एक अत्याधुनिक जापानी जल-शुद्धिकरण तकनीक है। इसमें अल्ट्रावायलेट किरणों और कैटलिटिक कार्बन लेयर का उपयोग करके पानी से हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस, रासायनिक तत्व और अशुद्धियाँ हटाई जाती हैं।
यह तकनीक पानी को बिना रसायन शुद्ध करती है एवं ऊर्जा की खपत कम करती है, रखरखाव में सस्ती है, और ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में प्रभावी रूप से उपयोग की जा सकती है।
सेमिनार की शुरुआत श्रीराम ग्रुप आफ कॉलेज के संस्थापक चेयरमैन डॉ0 एस0 सी0 कुलश्रेष्ठ तथा मुख्य अतिथि डा प्रज्ञा सिंह अधिशासी अधिकारी नगर पालिका बोर्ड मुजफ्फरनगर एवं जापान से आए तशुयुकी इवासाकी प्रबंधक स्टेनली इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन लिमिटेड और हिरोशी यामानुची अधिशासी अधिकारी ओ० सी० ई० जापान औद्योगपति कुशपुरी, विपुल भटनागर, श्रीराम ग्रुप आफ कालिजेज एकीकृत परिसर के निदेशक डा एसएन चौहान, श्रीराम कॉलेज की प्राचार्या डा प्रेरणा मित्तल, निदेशक डा अशोक कुमार, रिर्सच, श्रीराम ग्रुप आफ कालिजेज डा आरपी सिंह, श्रीराम कालेज आफ फार्मेसी के निदेशक डा गिरेन्द्र गौतम, डीन एकेडमिक्स डा विनित कुमार शर्मा, द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर की गई ।
उपरोक्त सेमिनार पर श्री राम ग्रुप आफ कॉलेज के संस्थापक चेयरमैन डॉ0 एस0 सी0 कुलश्रेष्ठ तथा डॉ0 प्रज्ञा सिंह नगर पालिका अधिशासी अधिकारी एवं जापान से आए तशुयुकी इवासाकी व हिरोशी यामानुची से विस्तार से चर्चा की ।
इस संबंध में श्री राम ग्रुप आफ कॉलेज के संस्थापक अध्यक्ष डॉ0 एस0 सी0 कुलश्रेष्ठ ने जापान से आए सभी प्रतिनिधि मंडलों का स्वागत किया और हिरोशी यामानुची तथा तसुयुकी इवासाकी की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस तरह से इतनी बड़ी कंपनी के अधिकारी होकर जमीन स्तर से कार्य कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है उन्होंने कहा कि इस कंपनी के माध्यम से 98ः जल को शुद्ध किया जा सकता है इसका उपयोग सिंचाई में भी किया जा सकता है ।
इन्होने यह भी बताया की 5 वर्ष पूर्व जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (श्रप्ब्।) ने श्री राम ग्रुप आफ कॉलेज के परिसर में संस्थान के अपशिष्ट जल को पुनः शोध एवं सिंचाई योग्य बनाने के लिए अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र स्थापित किया था इसके बाद जापान सरकार की ओर से महाविद्यालय को लगभग 3.5 करोड रुपए का ऋण दिया गया था।
इस अवसर पर सेमिनार में उपस्थित आज की मुख्य अतिथि डॉ0 प्रज्ञा सिंह ने बताया कि मुजफ्फरनगर जैसे भारत के कई हिस्सों में सुरक्षित और किफायती पेयजल तक पहुंच एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सूक्ष्मजीवी रोगाणुओं से संदूषण, खराब रखरखाव और रासायनिक शुद्धिकरण विधि अक्सर जल सुरक्षा से समझौता करती है। डा प्रज्ञा सिंह ने मुजफ्फरनगर में इस तकनीक के उपयोग पर हर्ष जताते हुये नगरपालिका की ओर से पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर हिरोशी यामानुची ने बताया की यू0वी0 सी0सी0एल0 एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा पेयजल को सूक्ष्म जीवो से बचाया जा सकता है। यह तकनीक पानी की गुणवता को बिना हानि पहुचाये सुक्ष्म जीवों को समाप्त करती है। उन्होने यह भी बताया कि इस तकनीक का उपयोग भारत में महाराष्ट्र व पंजाब के रामपुर गाव में सफलता पूर्वक किया गया है। अब वह इस तकनीक का उपयोग उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में करने के इच्छुक है।
इसके पश्चात सेमिनार में उपस्थित तासुयुकी इवासकी ने बताया कि इस विधि के कई लाभ हैं जैसे बैक्टीरिया, वायरस और प्रोटोजोआ के विरुद्ध उच्च सूक्ष्मजैविक प्रभावकारिता, कम परिचालन लागत, न्यूनतम ऊर्जा उपयोग और कम क्लोरीन खपत इत्यादि।
सेमिनार के दौरान विभिन्न विशेषज्ञों ने भारत में जल संकट और उसकी गुणवत्ता संबंधी चुनौतियों पर अपने विचार रखे। कॉलेज विद्यार्थियों एवं फैकल्टी सदस्यों ने विषय से संबंधित शोधपत्र एवं प्रस्तुत किए।
कॉलेज की प्राचार्य डॉ. प्रेरणा मित्तल ने कहा कि यह पहल भारत-जापान के शैक्षिक एवं तकनीकी सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इस सेमिनार से विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय तकनीकी नवाचारों की गहन समझ प्राप्त हुई।
सेमिनार का सफल संचालन डॉ. रीतू पुंडीर एवं हुरैन खान द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम के अंत में अतिथियों का आभार प्रदर्शन किया गया।
इस अंतर्राष्ट्रय सेमिनार की समन्वयक डा बुशरा अकील रही।
कार्यक्रम को सफल कराने में डा विपिन सैनी, विभागाध्यक्ष बायोसाइंस विभाग, विकास त्यागी, अंकित कुमार, डा पूजा तोमर, विभागाध्यक्ष बेसिक साइंस एवं महाविद्यालय के सभी विभागाध्यक्षों एवं शिक्षक गणों का योगदान रहा।


