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राजराजेश्वर सहस्रबाहु अर्जुन जयंती हर्षोल्लासपूर्वक मनाई गई

मुजफ्फरनगर। कलाल महासभा (रजि.) जनपद-मुजफ्फरनगर के कार्यालय — कुटेसरा बस स्टैंड के सामने, ऊपरी मंजिल, रुड़की रोड, मुजफ्फरनगर — पर आज महाराजा राजराजेश्वर सहस्रबाहु अर्जुन देव जी की जयंती पूर्व वर्षों की भाँति इस वर्ष भी बड़े हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाई गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ महाराज सहस्रबाहु अर्जुन जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर एवं आरती-पूजन के साथ किया गया।

इस अवसर पर जिला अध्यक्ष प्रमोद कर्णवाल जी ने कहा कि भारत के पौराणिक इतिहास में अनेक वीरों ने समाज की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उन्हीं में से एक थे राजा सहस्रबाहु अर्जुन, जो शक्ति, पराक्रम और धर्मपालन के प्रतीक माने जाते हैं।

ऋषिराज राही जी ने कहा कि राजराजेश्वर सहस्रबाहु अर्जुन जी के शासनकाल में शांति, न्याय और समृद्धि का युग स्थापित हुआ था।

वेद प्रकाश कर्णवाल जी ने कहा कि सहस्रबाहु अर्जुन ने भगवान परशुराम के काल में अपना अद्वितीय पराक्रम दिखाया। वे ज्ञानी, बलवान और धार्मिक राजा थे जिन्होंने सदैव धर्म की रक्षा की।

शहर के प्रसिद्ध डाक्टर प्रवेश कर्णवाल जी ने बताया कि “सहस्त्र” का अर्थ हजार और “बाहु” का अर्थ हाथ होता है — अर्थात हजार हाथों वाला। यह उनकी अपार शक्ति, नेतृत्व और समाजसेवा की भावना का प्रतीक है।

विजय कर्णवाल जी ने बताया कि सहस्रबाहु कार्तवीर्य अर्जुन का जन्म हैहय वंश में हुआ था। उन्होंने भगवान दत्तात्रेय की उपासना कर उनके आशीर्वाद से हजार भुजाओं का वरदान प्राप्त किया और अपने साम्राज्य में धर्म की स्थापना की।

नानक चन्द वालिया जी ने कहा कि सहस्रबाहु की कथा भारतीय पुराणों में अत्यंत प्रसिद्ध है। उन्होंने अनेक असुरों को पराजित कर धर्म की रक्षा की, जिससे देवता भी प्रसन्न हुए।

एडवोकेट रोहितास कर्णवाल जी ने कहा कि सहस्रबाहु जयंती मनाने का उद्देश्य उनके आदर्श शासन, धर्मनिष्ठा और पराक्रम को स्मरण करना है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्ची शक्ति हमेशा धर्म की रक्षा में लगनी चाहिए।

राजेश कर्णवाल जी ने कहा कि सहस्रबाहु को भगवान विष्णु का आंशिक अवतार माना जाता है, जिन्होंने अधर्म का नाश कर न्याय की स्थापना की।

रमन कपिल कर्णवाल जी ने कहा कि यह जयंती केवल एक पौराणिक उत्सव नहीं बल्कि धर्म, नीति और शक्ति का संदेश देने वाला पर्व है।

योगेश कर्णवाल जी ने कहा कि यह दिन हमें यह संकल्प दिलाता है कि हम सदैव धर्म के मार्ग पर चलें और कभी भी अहंकार न करें।

रवीन्द्र कर्णवाल जी (सोनू भाई) ने कहा कि आधुनिक समय में भी सहस्रबाहु की शिक्षाएं हमें यह प्रेरणा देती हैं कि शक्ति का उपयोग सदैव भलाई और समाज सेवा में होना चाहिए।

चत्रु कर्णवाल जी ने कहा कि सहस्रबाहु अर्जुन जी की जयंती हमारी महान परंपराओं का प्रतीक है और सच्चे नेतृत्व का आदर्श उदाहरण भी।

ऋषिराज वालिया जी  ने कहा कि सहस्रबाहु का जीवन सिखाता है कि शक्ति तभी सार्थक है जब उसमें नम्रता और धर्म का भाव हो।

वैश्य कुटुम्ब के प्रदेश संयोजक पवन सिंघल जी ने कहा कि हमें उनके आदर्शों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सत्य, धर्म और न्याय का मार्ग अपनाना चाहिए।

कार्यक्रम में समाजबंधुओं ने आरती-पूजन के पश्चात महाराज सहस्रबाहु अर्जुन देव जी के आदर्शों पर प्रकाश डाला।भोग-प्रसाद की विशेष व्यवस्था जिला अध्यक्ष श्री प्रमोद कर्णवाल जी द्वारा की गई।

कार्यक्रम में संयुक्त वैश्य मोर्चा के अध्यक्ष कृष्ण गोपाल मित्तल जी, मुख्य संयोजक एवं सलाहकार शलभ गुप्ता जी, मुख्य संयोजक सुनील तायल जी, प्रमोद कर्णवाल रामपुरी,अवि कर्णवाल,बृजमोहन कर्णवाल, कर्ण कर्णवाल, रविन्द्र कर्णवाल, ब्रिजेश कर्णवाल तथा केतन कर्णवाल सहित अनेक गणमान्य समाजबंधु उपस्थित रहे।

 

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Author: Taja Report

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