मुजफ्फरनगर। चरथावल थानाक्षेत्र के ग्राम दधेडु कला निवासी जज आयशा परवीन व उसके वकील को जेल भेज दिया गया है। आयशा परवीन फर्जी जज बनकर बैंक से लोन लेने पहुंची थी।
बिजनौर जनपद में फर्जी जज और पेशगार बनकर आए वकील के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने अदालत में पेश किया। अदालत ने फर्जी जज और वकील को जेल भेज दिया है। विस्तृत जांच के लिए पुलिस की एक टीम जनपद रामपुर भी गई है। शुक्रवार की देर शाम एचएफडीसी बैंक के शाखा प्रबंधक अतुल द्विवेदी ने फर्जी जज आयशा परवीन और वकील अनस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोप है कि मुजफ्फरनगर के गांव दधेडू कलां की रहने वाली आयशा परवीन ने खुद को न्यायाधीश बताया और जनपद रामपुर में तैनात होने की बात कही। साथ में आए वकील अनस निवासी किशनवास थाना मंडावर बिजनौर ने जज का पेशगार बताया। बैंक में 35 लाख के पर्सनल लोन के लिए आयशा परवीन की ओर से आवेदन किया गया था।
शुक्रवार की शाम लोन की रकम ट्रांसफर होने ही वाली थी कि लोन के लिए जमा किए गए कागज संदिग्ध होने पर जांच की गई। शक होने पर साइबर थाना में तैनात में पुलिसकर्मी विवेक तोमर को भी मौके पर ही बुला लिया गया था। शुरुआती जांच में ही जज का पहचान पत्र, सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट और नियुक्त पत्र आदि फर्जी पाए गए। ऐसे में पुलिस ने आयशा परवीन और वकील अनस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करते हुए गिरफ्तार कर लिया था। शनिवार को चालान करते हुए कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
शहर कोतवाली के एसएसआई सतेंद्र मलिक ने बताया कि गिरफ्तार होने के बाद फर्जी जज आयशा परवीन बेहद परेशान हो गई। उसने पुलिस से कहा कि गलती हो गई, मेरे घर मत बताना। मां बीमार है और पिता को अटैक आ जाएगा। हालांकि पुलिस ने उसके परिवार वालों को सूचना दे दी थी। शहर कोतवाली पहुंचे आरोपी आयशा के पिता बार बार रोते रहे। उन्हें यह मालूम ही नहीं था कि उनकी बेटी असल में जज नहीं है।
देहरादून में रहकर लॉ की पढ़ाई करने वाली आयशा ने 2019 में एमबीए भी किया। आयशा परवीन ने पीसीएस जे की परीक्षा भी दी। हालांकि उस परीक्षा में आयशा फेल हो गई थी लेकिन इसके बाद भी उसने दिसंबर 2023 में पास होने का शोर मचाया। परिवार वालों ने उस वक्त जश्न भी मनाया। बाकायदा आयशा की सफलता को अखबारों में भी प्रकाशित कराया गया था। जिस गाड़ी से आयशा परवीन बिजनौर पहुंची थी, उस पर आगे पीछे जज का स्टीकर लगा हुआ है। बड़े बड़े अक्षरों में न्यायाधीश भी लिखा है। दिहाड़ी पर गाड़ी चलाकर आए चालक ने पुलिस को बताया कि मैडम अक्सर उसे गाड़ी चलाने के लिए बुलाती थी। कहीं पर भी टोल नहीं दिया जाता था। गाड़ी को पुलिस ने बरामद किया है जोकि आयशा के भाई के नाम पर पंजीकृत है।
पुलिस की जांच में सामने आया कि आयशा परवीन ने रामपुर की पॉश कॉलोनी में दस हजार प्रति माह के किराए पर घर ले रखा था। घर में काम करने के लिए बाकायदा नौकरानी लगी थी। खुद को जज बताते हुए आयशा पूरा रौब गालिब करती थी। परिचितों को भी उसने खुद को जज ही बता रखा था।
मुजफ्फरनगर की रहने वाली आयशा परवीन ने देहरादून से LLB की। फ़र्जी जज बनकर रामपुर में पोस्टिंग का हवाला देते हुए बिजनौर के HDFC बैंक से फ़र्जी कागजात के आधार पर लोन अप्लाई कर दिया। बैंक मैनेजर को कुछ शक हुआ तो उसने सायबर थाने को सूचना दे दी तो मामला खुल गया। आयशा का सहायक अनस भी उसके साथ धरा गया। फ़र्जी आईकार्ड और न्यायधीश की नेमप्लेट लगी गाड़ी और कई फर्जी दस्तावेज मिले है।

