मुजफ्फरनगर। वैदिक संस्कृति के पुरोधा, ऋषि दयानन्द के अनन्य भक्त, जीवन भर गांवों-गांवों में यज्ञ और योग की अलख जगाने वाले देशभक्त, आर्य रत्न आचार्य प. गुरुदत्त आर्य जी (94 वर्ष) रविवार, 19 अक्टूबर त्रयोदशी को प्रातः 4.18 मिनट पर ब्रह्मलीन हो गये है। श्रद्धेय आचार्य जी का अंतिम सँस्कार आज रविवार को दोपहर 2 बजे नई मंडी स्थित मोक्ष धाम पर किया जायेगा। आचार्य जी की अंतिम यात्रा संस्कार चेतना केंद्र, संतोष विहार, सरकुलर रोड से 1 बजे आरम्भ होगी। आचार्य ने समाज और राष्ट्र को ‘मनभर चर्चा की अपेक्षा कण भर आचरण श्रेष्ठ है का संदेश दिया था। सिसौली क्षेत्र के गांव मुंडभर निवासी आचार्य श्री गुरुदत्त आर्य जी शुकतीर्थ के जीर्णोद्धारक,पद्मश्री, पद्मभूषण, शिक्षा ऋषि पूज्य वीतराग स्वामी कल्याणदेव जी महाराज के सगे भतीजे थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें वर्ष 1994 में राज्य शिक्षक पुरुस्कार से अलंकृत किया था…वेदों की ज्योत्ति जलती रहे, ओम का झंडा ऊंचा रहे।


